शिक्षा - माफिया पर कब बात होगी ?

भू - माफिया, ड्रग - माफिया, पेट्रोल - माफिया, मूवी - माफिया पर तो बहुत बातें हो चुकी , अब शिक्षा - माफिया पर कब बात होगी ?
अपने 10 साल के शिक्षण अनुभव में मैंने , सरकारी, प्राइवेट, एनजीओ, प्राइवेट क्लीनिक (स्पेशल एजुकेशन), प्राइवेट वोकेशनल सेंटर (फॉर चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड़) में काम किया।
कुछ दिन पहले अपने कुछ अनुभव एक पोस्ट के जरिए सांझा किए थे।
शिक्षा - माफिया की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि मेरे साथ काम करने वाले किसी भी साथी ने (जिन्होंने इन संस्थाओं में मेरे साथ काम किया है), पोस्ट पर लाइक या कॉमेंट करने की हिम्मत नहीं की, बल्कि मुझे ही समझाया -" इस वक़्त ये सब मत लिखो, कोई भी स्कूल दोबारा काम नहीं करेगा तुम्हारे साथ। ये प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल, मैनेजर सब जानते है एक- दूसरे को। ये सब मिलकर ब्लैकलिस्ट कर देंगे। जिनके लिए लिख रही हो जब उनके पैरेंट्स को प्रॉब्लम नहीं की , उनके (चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड़ ) बच्चों की क्लास क्यू नही हो रही , क्यू कुछ स्कूल में डबल फीस लेकर स्पेशल नीड़ चिल्ड्रेन को एडमिशन मिलता है? तो तुम क्यों अपना कैरियर खराब कर रही हो? "
अभी सबको ये बात बहुत छोटी लग रही होगी, इस दुनिया को कोई मुद्दा तभी बड़ा लगता है जब आदमी या तो तंग आकर सुसाइड कर ले या उसका मर्डर हो जाए।
माफ़ कीजिए; आप शिक्षा - माफिया के मुद्दे को सीरीयस समझे; इसके लिए मै मर नहीं सकती ।
अभी कुछ दिन पहले सुशांत राजपूत की मौत की खबर सुनकर जो अपने फेसबुक , इंस्टाग्राम , वॉट्सएप पर इतने महान बन रहे थे कि "  फिल फ्री टू टॉक "
 "सिर्फ एक कॉल दूर हैं हम" ।
उन महान लोगों ने खुद को इस मुद्दे पे चुप किया हुआ है।
तो आज मैं पूछ रही हूं- मुझे जरूरत है आपकी, उन सब बच्चों को जरूरत है, जिनके मां बाप के पास फीस नहीं दिन को , उनको भी जरूरत है जो प्राइवेट सेशन वालों को डबल फीस नहीं दे सकते। क्या आप करेंगे मदद ?
कोई पैसे या धरना प्रदर्शन में नहीं बुला रही मै, सचमुच किसी के लिए इंसानियत है तो बोलो खुलकर इस शिक्षा - माफिया के सिस्टम पर। खुद बोल भी नहीं सकते तो उसका ही साथ दो जो बोल रहा है। 
या फिर उतार दो अपने चेहरे का नकाब, लिखना बंद कर दो " फील फ्री टू टॉक" । आपके झूठे साथ, कॉमेंट, पोस्ट के लिए मै मर नहीं सकती। 

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